हतई

‘हतई’ शब्द निमाड़ अंचल की बोली निमाड़ी का शब्द है. ‘हतई’ निमाड़ के गांवों में चौपाल की भांति एक ऐसा स्थान या चबूतरा होता है, जिसकी छत चार कॉलम या स्तम्भों पर टिकी होती है और प्रायः चारों और से खुली होती है. इस चौपाल या ‘हतई’ पर गांव के लोग शाम को इकट्ठे होकर गपशप करते है. गांव या घर-परिवार की समस्याओं पर चर्चा करते हैं. अपने सुख-दुःख की बातें करते हैं.

Sunday, February 28, 2010

आत्मा नहीं, स्मृतियाँ अजर-अमर हैं......



१९९२ प्रगतिशील लेखक संघ का राज्य सम्मलेन, भोपाल
(बांये से मैं, ज्ञानरंजन, कमला प्रसाद और कुमार अम्बुज)

एक अकेला चित्र इतना ताकतवर होता है कि वर्तमान की आपाधापी और तनाव के भार को एक क्षण में हटाकर अतीत की उन स्मितियों में फ़ेंक देता है जिन्हें हम पीछे कहीं अकेले कमरे में छोड़ आये थे. ऐसा लगता है कि आत्मा नहीं, स्मृतियाँ अजर-अमर होती हैं. इन्हे न कोई शास्त्र काट सकता है न अग्नि जला सकती है. दुनिया की सबसे ताकतवर और पवित्र चीज स्मृतियाँ होती हैं. एक ऐसे blackboard पर जिसे न मिटाया जा सकता है और न बदला जा सकता है. अतीत की इन स्मृतियों को किसी भी तरह से कलुषित नहीं किया जा सकता है. स्मृतियाँ अपने होने में पवित्र होती हैं. दुनिया की सबसे मूल्यवान और पवित्र संपत्ति स्मृतियाँ ही होती हैं. रिश्तों को बचने के लिए स्मृतियों को बचाना होता है. स्मृतियाँ बची रहती है तो रिश्ते भी बचे रहते हैं. स्मृतियाँ हस्तांतरित होती हैं और विरासत की तरह सोंपी जाती है. स्मृतियों की चोरी नहीं होती है, और न इसके लूटे जाने का भय होता है. हमारी असावधानी में भी यह सुरक्षित रहती है...............
होली पर्व की शुभकामनाओं के साथ.......


10 comments:

  1. आपके ब्लाग से परिचित नहीं थी। आज देखा। अच्छा लगा। "हतई" शब्द अपरिचित लगा।
    होली की शुभकामनाएँ।
    सादर
    इला

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  2. ek aur behtar shurvat ke liye badhai.

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  3. Blogging ki Duniya me aapka Swagat hai... Holi ki shubh kamna

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  4. िप्रय श्री भालचंद्रजी,
    वाकई आपको ब्लाग में देखना अभूतपूवर् रहा। वाकई स्मृितयां अजर-अमर होती हैं। जब हम जीवन के अजीब से दोराहों पर होते हैं या िक िकन्हीं झंझावातों से जूझ रहे होते हैं तब स्मृितयां ही होती हैं जो हमें नई राह िदखाती हैं। जब भी मैं उदास होता हूं तो िदमाग में दादाजी के साथ बीताए पल कौंध जाते हैं और पाता हूं िक मुिशकलें आसान हो गई हैं। आपको बधाई, शुभकामनाएं....

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  5. भाई भालचंद्रजी,
    आज आपका शिशु ब्लाग देख कर बहुत प्रसननता हुई । वैसे आपको पढ़ने के किलये ज्यादा परेशान हानास नहीं पड़ता है । किसी भी साहित्यिक पत्रिका को उठाइये आप मौजूद होते हैं । फिर भी ब्लाग का अपना मजा है , बिल्कुल खलिस ।
    स्मृतियों के बारे में आपने अच्छा लिखा है । ये कभी लड़ने की ताकत देती हैं तो कभी आदमी खुद इनसे लड़ता हुआ खर्च होता है । सापेक्ष है ।
    बहरहाल , एक नई , जरुरी और अच्छी शुरुवात के लिये बधाई स्वीकरें ।

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  6. Bahut gehra hai samundar tu isme doobta ja,
    na mile khushi to gam ka maja lootta ja,
    kisi ki yadko jindagi ka arman banale ,kisi ke sang bitaye palo ko jindagi ka ehsan banale,
    bahut pyara hai ehsas manane ka ye sochke kisi apne se ruthta ja,
    na mile khushi to.............
    Jitna dubega manjil ke utna kareeb aayega ,
    akela chal ke dekh puri duniya ko apne sath payega,
    banke khusboo bahar ki bikhar ke tootta ja,
    Na mile khushi to tu gam ka maja lootta ja.
    BR//
    Abhishek Bhatore

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  7. आपको ब्लोगिंग की दुनियां में आने की बधाई .....
    ये कंप्यूटर की तकनीकी दुनिया दूर से बड़ी ही जटिल दिखाई पड़ती है
    लेकिन एक बार इसमें प्रवेश कर गए तो आप पाएंगे कि, ये बड़ी सुविधा जनक व्यवस्था है ....अपने विचार तीव्रता से वृहद संसार तक पहुचाने की....
    सारिका निलोसे ( एवं निप्पो की और से......)

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  8. बधाई हो बधाई काकाजी ब्लोगिंग की दुनिया में एंट्री कर ही ली आखिर .....
    स्मृतियाँ हमें एक ऐसे निजी कोने में ले जाती हैं, जँहा हमारी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ शायद ही कोई प्रवेश कर पाता है .
    ये ऐसा दुनिया का दरवाज़ा है जिसकी चाभी सिर्फ हमारे पास होती है और हम हमारी इस दुनिया को सहेज के रखते है ...
    जब हम इसे किसी अपने को देना भी चाहते है तो इसे अपनी इच्छानुसार संशोधित करते है, ताकि हमारी स्मृतियों पर हम गर्व कर सकें...इन्ही गौरवान्वित स्मृतियों के साथ आपकी बेटी....
    सारिका........

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  9. Papa hindi me likhna nhi aata so sorry but welcome to world of blogging

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  10. mamaji blog chote honge to mujhe padhne main kam samay lagega aur main acche se samajh paunga. maheshwar ke baare main itni saar jaankari padhkar garv hua ki main itni purani sanskrati main pala badha houn.
    ashish moyade

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